नाली जर्जर होने की शिकायत की यमुना सीईओ ने रात में ही कराई जांच, झूठी निकली शिकायत

राजेश बैरागी।प्रशासन के सहज सुलभ होने का गलत परिणाम यह होता है कि लोग छोटी सी समस्या को बहुत बड़ी और झूठी कहानी को भी ऐसे प्रस्तुत करते हैं कि या तो अधिकारी गुस्से से बौखला जाए या अपराध बोध से भर जाए। ऐसा ही एक वाकया यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में हुआ जिसमें शिकायतकर्ता ने प्राधिकरण द्वारा बनाई नाली की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए नाली को पैर की ठोकर से तोड़ देने का दावा किया।
दरअसल गत दिवस एक ग्रामीण ने यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार सिंह से सेक्टर 20 अंतर्गत ग्राम पारसोल में बेहद खराब निर्माण सामग्री से नाली बनाए जाने की शिकायत की। ग्रामीण ने दावा किया कि उस नाली को पांव की ठोकर से तोड़ा जा सकता है। सीईओ को ग्रामीण की बात पर सहसा विश्वास तो नहीं हुआ परंतु उसके दावे को झुठलाने का भी कोई आधार नहीं था। लिहाजा सीईओ के आदेश पर अभियांत्रिकी विभाग की टीम को उस ग्रामीण के साथ उसके बताए स्थान पर नाली की मजबूती की जांच करने भेजा। मौके पर पहुंचने तक रात हो गई। अभियांत्रिकी विभाग की टीम ने रात्रि में ही उस ग्रामीण से उसके बताए स्थान पर बनी नाली को पांव की ठोकर से तोड़ने को कहा। ग्रामीण ने पूरे यत्न से नाली में लात मारी परंतु उसे तोड़ने में सफल नहीं हो पाया। इस घटना की बाकायदा वीडियोग्राफी की गई। वीडियो में ग्रामीण नाली को ठोकर से तोड़ने का प्रयास करता दिखाई दे रहा है।प्राधिकरण के महाप्रबंधक (सिविल) राजेन्द्र भाटी ने बताया कि ग्रामीण द्वारा बताया गया स्थान सेक्टर 20 के एल ब्लॉक में पड़ता है। यहां आछेपुर और पारसोल गांव की भूमि आती है। वर्ष 2018-20 में टेंडर के जरिए उक्त नाली का निर्माण कराया गया था परंतु पारसोल गांव की भूमि किसानों के विरोध के चलते प्राधिकरण को हासिल नहीं हुई थी। इस कारण सेक्टर 20 के एल ब्लॉक का विकास कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। ग्रामीण ने झूठी शिकायत की थी। यमुना सीईओ ने एक मुलाकात में कहा कि ग्रामीण या आवंटियों की शिकायतों का समाधान उनकी प्राथमिकता है परंतु लोगों को झूठी और अनर्गल शिकायत नहीं करनी चाहिए। इससे सच्ची शिकायतों के निस्तारण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है

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