राजेश बैरागी।स्वच्छता अभियान में इस वर्ष भी पुरस्कार हासिल करने वाले नोएडा शहर में आम नागरिकों की सुविधा के लिए बनाए गए लगभग दो सौ सार्वजनिक शौचालयों की वर्तमान में कैसी दशा है? अधिकारियों की अनिर्णय की स्थिति से कबाड़ सरीखे हो चुके इन सार्वजनिक शौचालयों के संचालन के लिए एक एडवरटाइजिंग एजेंसी को करोड़ों रुपए कमाने का अवसर देने के लिए पिच तैयार की जा रही है।
पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी द्वारा आम नागरिकों की सुविधा के लिए शहर भर में बनवाए गए लगभग दो सौ सार्वजनिक शौचालय दुर्दशा को प्राप्त हो चुके हैं। यह कड़वा सच है कि अधिकारी के बदलने के साथ उसकी अच्छी योजनाओं को भी खुड्डे लाइन लगा दिया जाता है।इन शौचालयों में यूरिनल पोट टूट फूट गये हैं। शौचालयों की सफाई, उनमें पानी की आपूर्ति, टोंटी, फर्श सब बर्बाद हो रहे हैं। दरअसल रितु माहेश्वरी ने इन शौचालयों के संचालन के लिए जो मैकेनिज्म तैयार किया था,उस मैकेनिज्म को उनके बाद के अधिकारी बरकरार रखने में असफल साबित हुए हैं। फिलहाल पिछले छः महीने से ये सभी शौचालय उपयोग करने की स्थिति में नहीं बचे हैं। बताया गया है कि इन्हें सही तरीके से संचालित करने के लिए प्रतिवर्ष लगभग तीस करोड़ रुपए व्यय होगा। प्राधिकरण के सीईओ एसीईओ आदि अधिकारी इतनी बड़ी धनराशि खर्च होने के नाम से ही सहम जाते हैं।प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों ने ऐसी एजेंसी को आमंत्रित करने पर विचार किया जो शौचालयों पर एक निश्चित आकार में विज्ञापन लगाकर इन शौचालयों का अपने खर्चे पर संचालन करे। इस विचार विमर्श के बीच एक चर्चित एडवरटाइजिंग एजेंसी के पैरोकार प्राधिकरण के एक अधिकारी ने प्रत्येक शौचालय को संचालित करने के बदले नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर दो यूनीपोल लगाने की सलाह दे डाली।अब मामला इसी पर अटक गया है। बताया जा रहा है कि चर्चित एडवरटाइजिंग एजेंसी और अधिकारी की सांठगांठ से सार्वजनिक शौचालयों को चालू कराने की नीति नहीं बन पा रही है। इस बीच मालूम हुआ है कि पिछले तीन महीने से इन शौचालयों पर तैनात कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है
नोएडा प्राधिकरण: स्वच्छता अभियान में पुरस्कृत शहर के दो सौ सार्वजनिक शौचालय हुए ठप्प, एडवरटाइजिंग एजेंसी और अधिकारी की सांठगांठ से नहीं बन पा रही नीति









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