राजेश बैरागी।क्या भाजपा कभी सपा बसपा जैसी राजनीतिक पार्टी बन सकती है? इससे भी बड़ा प्रश्न यह है कि क्या भाजपा शासन प्रशासन पर कभी कांग्रेस जैसी पकड़ हासिल कर पाएगी? कांग्रेस स्वतंत्रता के बाद एक युग तक देश और राज्यों में निरंतर शासन करने वाली पार्टी रही है। जनाधार खोने से बिल्कुल पहले तक इस पार्टी का मामूली सा कार्यकर्ता स्थानीय प्रशासन पर विशेष प्रभाव रखता था।सपा और बसपा पार्टियों का जन्म और विस्तार तो शासन प्रशासन को अपनी उंगलियों पर चलाने के लिए ही हुआ और जाना पहचाना गया। वर्तमान सत्तारूढ़ दल के कुछ समर्थक कांग्रेस और सपा बसपा के कथित पतन के लिए इन दलों की इसी विशेष प्रकृति को मुख्य कारण बता सकते हैं परंतु यह पूरा सच नहीं है।आज भी सपा बसपा के कार्यकर्ता अपने दलों के प्रति इसीलिए निष्ठावान हैं कि जब भी वो फिर सत्ता में आएंगे तो उन्हें वैसी ही हनक और ठसक हासिल होगी। और भाजपा के कार्यकर्ता? उन्हें एक दरोगा या सिपाही से भी जबान संभालकर बात करनी पड़ती है। दरअसल यह सारी भूमिका गौतमबुद्धनगर की जेवर विधानसभा के माननीय विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की वायरल हो रही उस वीडियो को समझने के लिए है जिसमें वह एक दरोगा को रिपोर्ट दर्ज न करने के लिए न केवल फटकार रहे हैं बल्कि उसे सरकार और शासन में शिकायत करने की धमकी भी दे रहे हैं। क्या कांग्रेस या सपा बसपा के विधायक ऐसा तृतीय श्रेणी का प्रदर्शन करते? विधायक का संकेत उसकी इच्छा का संदेश होना चाहिए। एक एफआईआर जो हर भारतीय का मौलिक अधिकार है,को दर्ज कराने के लिए सत्तारूढ़ विधायक को दरोगा को फटकारने और धमकाने की आवश्यकता क्यों पड़नी चाहिए? परंतु समर्थक विधायक की इस दबंगई पर न्यौछावर हैं और वीडियो को अधिक से अधिक प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में कई बार देखने सुनने में आया है कि मुख्यमंत्री और मंत्री अधिकारियों को विधायकों की बात पर ध्यान देने की हिदायत देते हैं।ऐसी आवश्यकता क्यों पड़ती है? क्या प्रशासन वास्तव में विधायकों को तवज्जो नहीं दे रहा है? एक पुलिस अधिकारी निजी बातचीत में बता रहे थे कि फलां विधायक हमेशा किसी न किसी भूमाफिया या अवैध कॉलोनाइजर को संरक्षण देने के लिए ही फोन करते हैं








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