एकल परिवार, एक बच्चा और पशु प्रेम

राजेश बैरागी-
पिछले कुछ दिनों से ऐसी रील्स देखने में आ रही हैं जिनमें एक बच्चा कु

राजेश बैरागी।पिछले कुछ दिनों से ऐसी रील्स देखने में आ रही हैं जिनमें एक बच्चा कुत्ते के एक दो या तीन बच्चों के साथ खेल रहा होता है। कुत्ते के बच्चे मुंह उठाकर भूऊऊ की आवाज निकालते हैं और आदमी का बच्चा उनकी नकल करता है। फिर कुत्ते के बच्चे या तो उस बच्चे के गाल चाट कर प्रेम का इजहार करते हैं या वह बच्चा उनसे लिपट कर उन्हें प्रेम करने लगता है।इन रील्स में विशेष बात यह है कि आदमी का बच्चा अकेला होता है। क्या ये रील्स एकल हो गये परिवारों में एक मात्र बच्चा पैदा करने की बढ़ती प्रवृत्ति को प्रदर्शित करती हैं?इन रील्स से एक और महत्वपूर्ण बात का संकेत मिलता है कि एकल परिवारों के एकमात्र बच्चे को खेलने और साथ देने के लिए भविष्य में इंसान के बच्चे नहीं होंगे तो पशुओं के बच्चों के साथ उसे रहना होगा। क्या यह आदिम युग में वापस लौटने का संकेत है जब आदिमानव और पशु साथ साथ रहते थे।इन रील्स में दिखाया जा रहा है कि इंसान का बच्चा कुत्ते के बच्चों की भांति भूंकने की नकल करता है। संभवतः यह भविष्य की तस्वीर है जो वास्तविकता में बदल जाएगी। इंसान फिर पशुओं के साथ रहने और उनकी नकल करने को विवश हो सकता है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि जनसंख्या में अनावश्यक वृद्धि की जाए। परंतु आवश्यकता भर तो जनसंख्या हो ताकि इंसान अपने जैसे इंसान के साथ रह सके

त्ते के एक दो या तीन बच्चों के साथ खेल रहा होता है। कुत्ते के बच्चे मुंह उठाकर भूऊऊ की आवाज निकालते हैं और आदमी का बच्चा उनकी नकल करता है। फिर कुत्ते के बच्चे या तो उस बच्चे के गाल चाट कर प्रेम का इजहार करते हैं या वह बच्चा उनसे लिपट कर उन्हें प्रेम करने लगता है।इन रील्स में विशेष बात यह है कि आदमी का बच्चा अकेला होता है। क्या ये रील्स एकल हो गये परिवारों में एक मात्र बच्चा पैदा करने की बढ़ती प्रवृत्ति को प्रदर्शित करती हैं?इन रील्स से एक और महत्वपूर्ण बात का संकेत मिलता है कि एकल परिवारों के एकमात्र बच्चे को खेलने और साथ देने के लिए भविष्य में इंसान के बच्चे नहीं होंगे तो पशुओं के बच्चों के साथ उसे रहना होगा। क्या यह आदिम युग में वापस लौटने का संकेत है जब आदिमानव और पशु साथ साथ रहते थे।इन रील्स में दिखाया जा रहा है कि इंसान का बच्चा कुत्ते के बच्चों की भांति भूंकने की नकल करता है। संभवतः यह भविष्य की तस्वीर है जो वास्तविकता में बदल जाएगी। इंसान फिर पशुओं के साथ रहने और उनकी नकल करने को विवश हो सकता है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि जनसंख्या में अनावश्यक वृद्धि की जाए। परंतु आवश्यकता भर तो जनसंख्या हो ताकि इंसान अपने जैसे इंसान के साथ रह सके

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