राजेश बैरागी।मैं आज शाम दादरी (गौतमबुद्धनगर) के रेलवे रोड पर था। तभी वहां से थाना दादरी पुलिस की एक टुकड़ी पैदल गश्त करते हुए निकली। लगभग बीस पुलिसकर्मियों की यह टुकड़ी अमूमन प्रतिदिन कस्बे के सबसे व्यस्त रेलवे रोड पर शाम के समय पैदल मार्च करती है। पुलिस के ऐसे पैदल मार्च का क्या उद्देश्य रहता है? गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस अपने क्षेत्राधिकार के अन्य स्थानों पर भी ऐसे ही रोजाना पैदल मार्च करती है।इसे फुट पेट्रोलिंग भी कहते हैं। क्या इससे आम नागरिकों में सुरक्षा का भाव पैदा होता है? निस्संदेह जब भी पुलिस पैदल या वाहनों पर सवार होकर मार्च करती है तो लोगों को सुरक्षा का अहसास होता है। परंतु क्या केवल थोड़ी देर के लिए सुरक्षा का अहसास देना ही ऐसे नियमित मार्च का उद्देश्य होना चाहिए? मैंने देखा कि रेलवे रोड पर अतिक्रमण का बुरा हाल है। मैं रेलवे रोड पर स्थित कस्बे के सबसे बड़े निजी चिकित्सालय नवीन हॉस्पिटल के आगे खड़ा था।नवीन हॉस्पिटल के संचालकों ने हॉस्पिटल की समूची भूमि पर बिल्डिंग बना दी है भिन्न-भिन्न प्रकार के चिकित्सक और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के चलते यहां रोगी भी सर्वाधिक आते हैं। परंतु उनके वाहन खड़े करने के लिए कोई स्थान नहीं है। ये वाहन पूरे समय रेलवे रोड के ऊपर ही खड़े रहते हैं। इससे इस रोड से गुजरने वालों को हमेशा समस्या रहती है। पुलिस की पैदल मार्च करने वाली टुकड़ी वहां से गुजरी परंतु उसका ध्यान इस समस्या पर नहीं था। लोग पुलिस को मार्च करते देख संतुष्ट थे। और कुछ न सही मार्च होने से पुलिस के होने का अहसास तो है।(
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