नोएडा प्राधिकरण: डीएलएफ मॉल की भूमि के 350 करोड़ रुपए मुआवजा के उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा, प्राधिकरण समझौते में कर चुका है 295 करोड़ रुपए भुगतान 

राजेश बैरागी।चार वर्ष पहले छलेरा गांव की लगभग 15 बीघा भूमि के लिए रेड्डी रवन्ना नामक व्यक्ति को साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए मुआवजा देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सनसनी पैदा करने वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। नोएडा प्राधिकरण उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में भूमि का मालिक होने का दावा करने वाले रेड्डी रवन्ना नामक व्यक्ति को एक समझौते के तहत 295 करोड़ रुपए अक्टूबर 2022 में भुगतान भी कर चुका है। भूमि का मालिक होने के एक अन्य दावेदार द्वारा रेड्डी रवन्ना को मुआवजा दिए जाने के आदेश को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय द्वारा उक्त भूमि की मुआवजा दर को अव्यवहारिक तथा रेड्डी रवन्ना को भूमि मालिक घोषित करने के उच्च न्यायालय के आदेश को न केवल खारिज किया बल्कि मामले के पुनः परीक्षण का आदेश भी उच्च न्यायालय को दिया है। मामला लंबित रहने तक रेड्डी रवन्ना द्वारा मुआवजा राशि से खरीदी गई सभी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है।
28 अक्टूबर 2021 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा नोएडा प्राधिकरण के गांव छलेरा बांगर गांव की 15 बीघा 13 बिस्वा 10 बिस्वांसी भूमि का 359 करोड़ रुपए मुआवजा देने के आदेश ने उस समय सनसनी पैदा कर दी थी। अगले दिन के सभी समाचार पत्रों में यह खबर सुर्खियों में प्रकाशित हुई थी। इस भूमि पर सेक्टर 18 नोएडा में डीएलएफ मॉल बना हुआ है। रेड्डी रवन्ना नामक व्यक्ति ने इस भूमि को अपना बताते हुए अदालत से भूमि वापस दिलाने की मांग की थी। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उसकी रिट पिटीशन संख्या 2272/2019 के निस्तारण आदेश में रेड्डी रवन्ना को उक्त भूमि का एकल स्वामी मानते हुए उसे एक लाख दस हजार रुपए वर्गमीटर की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार मुआवजा दर की आधी धनराशि विकास शुल्क के तौर पर काटने तथा सोलेशियम तथा ब्याज सहित यह धनराशि 359 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी। नोएडा प्राधिकरण ने इस आदेश के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति मांगी थी परंतु सरकार ने रेड्डी रवन्ना से वार्ता कर समझौता करने को कहा। प्राधिकरण और रेड्डी रवन्ना के बीच हुए समझौते के अनुसार प्राधिकरण ने उसे 28 अक्टूबर 2022 को 295 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। उक्त भूमि के एक अन्य दावेदार विष्णु ने सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अपील की जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। विष्णु ने पुनः सुप्रीम कोर्ट में उसके खारिज करने के आदेश के विरुद्ध क्यूरेटिव पिटीशन दायर की। अबकी बार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को ध्यान से सुना और अपने पहले निर्णय को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 28 अक्टूबर 2021 के फैसले को न केवल खारिज किया बल्कि इस मामले में भूमि के वास्तविक मालिक तथा मुआवजा की उचित दर तय करने के लिए विष्णु की याचिका को उच्च न्यायालय इलाहाबाद को वापस भेज दिया। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों सूर्यकांत, दीपांकर व उज्जल भुइंया की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाया। इसके साथ ही रेड्डी रवन्ना द्वारा मुआवजा राशि से खरीदी गई संपत्तियों को मामले के निस्तारण तक फ्रीज रखने का भी आदेश दिया गया है। हालांकि इस मामले सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश सरकार मात्र औपचारिक पक्ष के तौर पर बुलाए गए थे परंतु यहां मुख्य विधि सलाहकार रहे न्यायिक अधिकारी रविन्द्र प्रसाद गुप्ता के कुशल निर्देशन में प्राधिकरण के विधि विभाग की टीम ने प्राधिकरण के विरुद्ध हुए पहले निर्णय को खारिज कराने में रणनीतिक भागीदारी की।क्या यह एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार का मामला है? इस बिंदु पर आगामी लेख की प्रतीक्षा करें

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