ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण:दो वर्ष में फर्श से अर्श पर पहुंचे प्राधिकरण का अब है बैंकों पर कर्ज


राजेश बैरागी।दो वर्ष पहले तक भारी कर्ज और घाटे में चल रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति में आश्चर्यजनक और अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिल रहा है। प्राधिकरण न केवल अधिकांश ऋण का भुगतान कर चुका है बल्कि साढ़े सात हजार करोड़ रुपए की सावधि जमा (एफडी) के साथ मजबूत आर्थिक स्थिति में आ चुका है। इस बीच पिछले वर्षों के मुकाबले इन दो वर्षों में प्राधिकरण के रोजमर्रा के खर्चों पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है।
स्थापित सिद्धांत है कि किसी भी संस्थान के उत्थान और पतन के लिए उसके नेतृत्व की सोच और दूरदर्शिता बहुत महत्व रखती है। पिछले एक दशक से विभिन्न कारणों से रसातल की ओर जा रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर यह सिद्धांत पूरी तरह चरितार्थ होता है। पहले 2011 में किसान आंदोलन, फिर 2020 में कोरोना महामारी के प्रकोप ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने के बजाय पीछे धकेलना शुरू कर दिया था।इस बीच प्राधिकरण कई वर्षों तक सीईओ के पद पर अधिकारियों के आयाराम गयाराम की समस्या से पीड़ित रहा। प्राधिकरण ने अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जहां से मिला, वहीं से कर्ज लेना शुरू कर दिया। नोएडा ग्रेटर नोएडा मेट्रो और शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तथा देहरा (गाजियाबाद) से गंगाजल पाइपलाइन बिछाने के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से 631 करोड़ रुपए कर्ज लिया गया। नोएडा प्राधिकरण से 4091.25 करोड़ रुपए कर्ज लेकर किसानों को अतिरिक्त 64.7 प्रतिशत मुआवजा बांटा गया। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र से ढाई हजार करोड़ रुपए कर्ज लेकर प्राधिकरण के रोजमर्रा के खर्चों तथा नागरिक सुविधाओं की पूर्ति की गई। प्राधिकरण के महाप्रबंधक (वित्त) विनोद कुमार बताते हैं कि 2017 से लेकर 2023 आते आते प्राधिकरण लगभग सात हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूब चुका था। प्राधिकरण की लगभग सभी परियोजनाएं ठप्प हो चली थीं और भूमि कोष शून्य हो गया था। ऐसे कठिन दौर में उत्तर प्रदेश सरकार ने तेजतर्रार किंतु संवेदनशील, मितव्यई किंतु दूरदर्शी और कोष प्रबंधन में माहिर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रवि कुमार एनजी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बतौर मुख्य कार्यपालक अधिकारी कमान सौंपी।रवि कुमार एनजी ने सर्वप्रथम प्राधिकरण के खजाने को दुरुस्त करने की योजना तैयार की। भिन्न-भिन्न प्रकार की परिसंपत्तियों के विरुद्ध लंबे अरसे से बकाया धनराशि को वसूलने के लिए नरम रणनीति बनाई गई। इससे वर्षों से अपनी संपत्ति पर अधिकार के लिए भटक रहे आवंटियों को भी राहत मिली और प्राधिकरण का खजाना भी धीरे धीरे भरने लगा। सीईओ रवि कुमार एनजी ने प्राधिकरण की आर्थिक दशा सुधारने के लिए जो रणनीति बनाई, शुरुआत में प्राधिकरण के अंदर से ही उसकी दबे स्वर में आलोचना हुई। दरअसल यह रणनीति भारतीय परिवारों की सदियों से चली आ रही उस व्यवस्था के समान थी जिसमें गांठ में पैसा बांधकर रखा जाता है।रवि कुमार एनजी ने उसी प्रकार प्राधिकरण के पैसे की एफडी करानी शुरू की।आज प्राधिकरण के लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपए की एफडी विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में सुरक्षित हैं।आय बढ़ाने के साथ गैरजरूरी खर्चों पर प्रभावी अंकुश लगाया गया।2024-25 के बजट में आय व्यय का अनुमान 4859.90 करोड़ रुपए लगाया गया था। इसके सापेक्ष प्राधिकरण ने 5806.90 करोड़ रुपए की आय की जो सवा गुना थी जबकि मात्र 1957.31 करोड़ रुपए में समस्त खर्च निपटा दिए गए। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि प्राधिकरण विकास कार्यों में कंजूसी बरत रहा है या नागरिक सुविधाओं में कटौती की जा रही है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट से ईस्ट तक सड़कों के चौड़ीकरण, गांवों के विकास और शहर में हर रोज पैदा होने वाले कूड़े कचरे के निस्तारण की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरी शिद्दत से आगे बढ़ाया जा रहा है।आठ वर्ष पूर्व भारी कर्ज में डूबे प्राधिकरण पर वर्तमान में किसी बैंक का कोई कर्ज शेष नहीं है। नोएडा प्राधिकरण का लगभग आधा कर्ज निपटा दिया गया है जबकि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के 631 करोड़ रुपए में से 321 करोड़ रुपए ही शेष हैं। महाप्रबंधक वित्त विनोद कुमार बताते हैं कि प्राधिकरण संचालन का 36 करोड़ रुपए वेतन समेत 75 करोड़ रुपए वार्षिक खर्च है। शहर की साफ-सफाई पर 80 से 90 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होता है। लगभग 50 करोड़ रुपए स्ट्रीट लाइट बिजली बिल आदि टाउनशिप मेंटेनेंस पर खर्च किया जाता है। इसके विपरीत प्राधिकरण को लीज रेंट आदि मद में 500 करोड़ रुपए की आय होती है। इसके अतिरिक्त आय परिसंपत्तियों की बिक्री से होती है। वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने आय व्यय का जो तंत्र विकसित किया है उससे यह प्राधिकरण फिर कभी कर्ज की गर्त में नहीं जाएगा बशर्ते भविष्य में तैनात होने वाले प्राधिकरण के रहनुमाओं को भी यह ख्याल रहे कि वही घर और संस्थान आगे बढ़ते हैं जिनमें खर्चे से ज्यादा आमद हो और वेतन भुगतान समय पर हो।(नेक दृष्टि)(ऐसे समाचार/आलेखों के लिए हमारी वेबसाइट www.nekdristi.com देखें)

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