राजेश बैरागी।यह चित्र गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और गाजियाबाद नगर निगम के संयुक्त अधिकार तथा कर्तव्य क्षेत्र इंद्रगढ़ी से लिया गया है। यह क्षेत्र गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का अधिसूचित क्षेत्र है। हालांकि यहां की बहुत सी भूमि को प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण से बाहर किया गया है। अधिसूचित होने के कारण यहां प्राधिकरण की स्वीकृति के बगैर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता परंतु सामने से गुजर रहे पुराने गाजियाबाद हापुड़ रोड के महत्व ने यहां की किसी भूमि पर कृषि होने की संभावना समाप्त कर दी। लोगों ने अपनी-अपनी भूमि पर दुकान, मकान, शोरूम, वर्कशॉप आदि बनाकर जीवनयापन करना शुरू कर दिया। प्राधिकरण इस भूमि पर बने मकान दुकानों को आमतौर पर गिराने नहीं आता है परंतु शिकायत होने पर नोटिस जारी करने से लेकर सील करने तक की कार्रवाई करता है।ऐसी नोटिस और सीलिंग की कार्रवाई प्राधिकरण द्वारा अपने अधिसूचित क्षेत्र में और भी अनेक स्थानों पर की जाती है। इससे प्राधिकरण के परियोजना विभाग के अभियंताओं से लेकर फील्ड स्टॉफ तक स्थाई आमदनी करते हैं। दूसरे प्राधिकरणों में भी ऐसा होता है इसलिए यह अब सामान्य राजकाज हो चला है। गाजियाबाद नगर निगम इस क्षेत्र में सामान्य नागरिक सुविधाओं यथा जल, सीवर, कूड़ा उठाने, स्ट्रीट लाइट आदि की व्यवस्था करता है। बिजली विभाग जरूरत के हिसाब से लोड आधारित बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराता है तो पुलिस सुरक्षा और प्रशासन आवश्यकता अनुसार अनुमति, स्वीकृति जारी करता है। राज्य और केंद्र सरकार के कर विभाग यहां होने वाली वाणिज्यिक गतिविधियों पर कर वसूली करते हैं। कहने का अर्थ यह है कि हो सब कुछ रहा है परंतु वैध कुछ भी नहीं है। यहीं एक भूखंड के भीतर बाहर डाले जा रहे बेतरतीब कूड़े में एक गौवंश अपने पेट की भूख को शांत करने का उद्योग करता देख जीडीए, नगर निगम, जिला प्रशासन और न जाने कितने ही स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा गौवंश रक्षा के उपायों पर तरस आ गया।हो सबकुछ रहा है परंतु कुछ भी वैध नहीं है। गौवंश की रक्षा के उपाय भी।
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