राजेश बैरागी।उड़ने वाली मशीनें कितनी आकर्षक लगती हैं। इनमें बैठकर यात्रा करने वाले लोग स्वयं को विशिष्ट मानते हैं। लड़ाकू जेट फाइटर विमानों के इस युग में यात्री विमानों की स्थिति भयावह है।बेहद कम समय में अधिकतम दूरी तय कराने वाली इन उड़ने वाली मशीनों की सबसे बड़ी और स्थाई बुराई क्या है? जब भी इनमें कोई बड़ी खराबी आती है तो इन्हें संभालना संभव नहीं होता है। आज अहमदाबाद में उड़ने के मात्र चालीस सेकेंड में आग का गोला बने एयर इंडिया के बोइंग विमान में 12 क्रू मेंबर के साथ कुल 242 लोग सवार थे। इनमें से केवल एक व्यक्ति रमेश विश्वास ने जीवित रहने का प्रमाण दिया है। हालांकि देर रात तक केवल 204 लोगों के मरने की पुष्टि की जा रही है। शेष यात्री या क्रू मेंबर कहां हैं? इस हादसे से संबंधित समाचार अभी अगले कई दिनों तक सुर्खियां बने रहेंगे।समूचा देश इस हादसे से सकते में है। क्या विमानों में यात्रा करने वाले लोग अपना इरादा बदल सकते हैं? दुर्घटनाएं कभी यात्रा और यातायात की दशाओं को प्रभावित नहीं कर सकी हैं।लोग जरूरत और मजबूरी के आलावा समय की बचत और शौक में भी हवाई यात्राएं जारी रखेंगे। एक अनुमान के अनुसार आने वाले एक दशक में हवाई यात्राओं में पांच सौ प्रतिशत तक वृद्धि होने की संभावना है। हादसे तेज दौड़ती जिंदगी में बाधा नहीं बन सकते हैं परंतु विमान में बैठने वाले नये और अभ्यस्त यात्री बैठने से गंतव्य पर पहुंचने तक एक स्थाई भय से मुक्त नहीं हो पाते। और यह भय मृत्यु का होता है।
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