राजेश बैरागी।नीचे की ओर बहना जल की सहज प्रवृत्ति है, यदि उसपर कोई अतिरिक्त बल न लगा हो। परंतु सड़कों पर खड़ा रहने वाला जल किस प्रवृत्ति का होता है? मैं आज शनिवार को दादरी (गौतमबुद्धनगर) के एक मुहल्ले में गया। मुझे भली प्रकार याद है कि तत्कालीन दादरी नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पति विक्रम ठेकेदार ने स्वयं खड़े होकर इस मुहल्ले और शहर के अन्य मुहल्लों में इतनी ऊंची सी सी सड़कें बनवाई थीं कि लोगों के मकान आधे दब गए थे। हालांकि उन्होंने पानी निकासी पर कोई ध्यान नहीं दिया था। लिहाजा दादरी शहर का हर मुहल्ला जल भराव और जल जमाव की समस्या से पीड़ित है। थोड़ी सी बारिश में रेलवे रोड भी तालाब बन जाता है।इंजन पंप से जल निकासी कोई स्थाई उपाय नहीं है।जल नीचे की ओर स्वत: बहता है।उसे किसी मदद की दरकार नहीं होती है।गंदे,जल भराव वाले शहर में रहना और वहां से निकलना अपने आप में एक अभिशाप है। मैं वापस लौटा तो दादरी-ग्रेटर नोएडा के बीच तिलपता गांव में दादरी नोएडा मुख्य मार्ग पर जल जमाव के कारण जाम लगा हुआ था। यातायात पुलिस कर्मी गंदे पानी में खड़े होकर यातायात को व्यवस्थित करने का नाकाम प्रयास कर रहे थे। खराब व्यवस्था में व्यवस्था को सुचारू करना सीधी खीर नहीं है। यहां एक इंजन पंप लगाकर सड़क पर भरे पानी को एक बंद पड़ी नाली में डाला जा रहा था। यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के इंजीनियरिंग विभाग की काबिलियत का सफल प्रदर्शन था। आज ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेरणा सिंह ने कुलेसरा, सूरजपुर और ग्रेटर नोएडा पश्चिम में हिंडन नदी पुल का दौरा कर जल भराव की स्थिति का निरीक्षण किया और मातहत अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। आज ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने तिलपता गांव में सी सी रोड व आर सी सी नाली बनाने के लिए 212.53 लाख रुपए का टेंडर जारी किया है। क्या जल निकासी इतना मुश्किल काम है जिसके आगे नगर पालिका परिषद और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जैसे हाथी स्थानीय निकाय घुटने टेक देते हैं? मुझे लगता है और मेरी यह दृढ़ मान्यता भी है कि समस्या का समाधान हमारी प्राथमिकता है ही नहीं। अन्यथा एक मुख्य मार्ग पर इंजन पंप लगाकर जल निकासी का नाटक थोड़े ही किया जाता है।(
दादरी से ग्रेटर नोएडा तक:जल भराव और जल जमाव की अनदेखी के दर्शन

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