अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों का फैलता जाल:एनजीटी जरा यमुना प्राधिकरण क्षेत्र को भी देखो 

राजेश बैरागी।नोएडा ग्रेटर नोएडा के बाद भविष्य का एकीकृत औद्योगिक शहर यमुना सिटी कैसा होगा? भूमि की बढ़ती कीमतों के चलते यमुना सिटी में पग पग पर अवैध कॉलोनियों का जाल फैलता जा रहा है। इस शहर को अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों से बचाने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यीडा के वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार सिंह फिलहाल तैयार नहीं हैं। हालांकि अवैध कॉलोनियों से नोएडा ग्रेटर नोएडा में बढ़ रही समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के समक्ष इन दोनों प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों व जिलाधिकारी को जवाब देना पड़ रहा है।
दिल्ली के उपनगरीय क्षेत्र के तौर पर विकसित किए गए नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहरों की वर्तमान स्थिति यह है कि ये दोनों आधुनिक शहर अतिक्रमण, अवैध कब्जों और भूमाफिया बिल्डरों द्वारा दिनदहाड़े बसाई जा रही अवैध कॉलोनियों की चपेट में हैं।इन दोनों शहरों को बांटने वाली हिंडन नदी को भी अवैध कॉलोनाइजर्स ने नहीं छोड़ा है। हालात ऐसे हैं कि यदि किसी दिन हिंडन नदी अपने पुराने स्वरूप में लौटी तो लाखों लोगों को जान-माल का भारी नुक्सान होना तय है। पानी से तबाही केवल उत्तराखंड के ही भाग्य में नहीं है, नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी ऐसी तबाही के वास्तविक हकदार हैं। दोनों शहरों के गांव स्लम में तब्दील हो चुके हैं जबकि प्राधिकरणों की लापरवाही और उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के चलते इन शहरों के नियोजित हिस्से से कहीं ज्यादा अनियोजित निर्माण हो चुका है और निरंतर जारी है। एक तथाकथित एक्टिविस्ट की इन्हीं समस्याओं को लेकर दायर की गई याचिका पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) पिछले लंबे समय से सुनवाई कर रहा है। एनजीटी के आदेशों का पालन करने में सफल न होने पर अब एनजीटी दोनों प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को व्यक्तिगत पेशी पर बुला रहा है। परंतु इन दोनों शहरों के मुकाबले यमुना प्राधिकरण क्षेत्र तेजी से अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों की चपेट में आता जा रहा है। ग्रेटर नोएडा की ओर जीरो प्वॉइंट से जेवर, टप्पल और मथुरा तक अवैध कॉलोनियों के फैलते हुए जाल को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। क्या नोएडा ग्रेटर नोएडा की भांति यमुना प्राधिकरण क्षेत्र पर एनजीटी की दृष्टि नहीं पड़ रही है? हालांकि हमारे देश में समस्याओं को पैदा होने के बाद उनके समाधान के संबंध में विचार किया जाता है। परंतु यमुना प्राधिकरण को अपने क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों को विकसित होने से रोकना चाहिए। यमुना प्राधिकरण के वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार सिंह इस ओर अभी कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने हाल ही में अवैध कॉलोनियों के निर्माण और अतिक्रमण पर कार्रवाई को नकारात्मक कार्य कहा था। उन्होंने इस प्रकार की कार्रवाई को अपनी प्राथमिकता में शामिल नहीं किया है।(

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