राजेश बैरागी।नोएडा ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में हाईराइज सोसायटियों के बेसमेंट में बरसात का पानी भरने का वास्तविक जिम्मेदार कौन है और इसकी असल वजह क्या है? क्या प्राधिकरणों के नियोजन और परियोजना विभाग इस समस्या के प्रति उत्तरदाई हैं या बिल्डर की लापरवाही और फ्लैट आवंटन के पश्चात बिल्डिंग के रखरखाव को भगवान भरोसे छोड़ देने की प्रवृत्ति की वजह से यह समस्या खड़ी हो रही है?
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की दर्जनों आवासीय हाईराइज सोसायटियों के बेसमेंट में इस बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या उभरकर सामने आई है। अमूमन सभी सोसाइटियों में वाहन पार्किंग के लिए सिंगल और डबल बेसमेंट बनाए गए हैं। बेसमेंट हमेशा भूमि की सतह से नीचे होते हैं,डबल बेसमेंट दोगुना नीचे होते हैं। वहां भरने वाला पानी खुद निकलकर नहीं जा सकता है।इसके लिए बेसमेंट को इस प्रकार बनाया जाना चाहिए कि वहां किसी भी स्रोत से आने वाला पानी नालियों के जरिए एक गड्ढे में इकट्ठा हो और पम्प से बाहर निकाल दिया जाए। यह गड्ढा जिसे संपवेल कहा जाता है अक्सर रखरखाव में लापरवाही से मिट्टी आदि से भरा रहता है और उसमें लगा पंप भी खराब पड़ा रहता है।कम क्षमता के पंप से भी पानी को बाहर फेंकना संभव नहीं होता है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ सुधीर कुमार बताते हैं कि बेसमेंट में पानी भरने का सबसे बड़ा रास्ता तो प्रवेश और निकास द्वार ही होते हैं। उन्हें पर्याप्त दूरी तक ढंककर रखने से बेसमेंट को पानी भरने से बचाया जा सकता है। जबकि बेसमेंट की बाहरी दीवारों के जोड़ों को मानक स्तर के केमिकल मिश्रण से ठीक से सील न होने से भी पानी अंदर आ सकता है।दीवार चटखने और बिजली पानी की लाइन बिछाने के दौरान सुराख होने से भी पानी अंदर आ सकता है। प्राधिकरण के नियोजन विभाग की जिम्मेदारी कंप्लीशन सर्टिफिकेट और अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सभी आवश्यक प्रमाण पत्र देखना होता है जो विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए जाते हैं।
दरअसल हाईराइज बिल्डिंगों के निर्माण में देरी, उसके बाद टुकड़ों में कंप्लीशन और अधिभोग प्रमाण पत्र हासिल करने तथा बिल्डिंग का रखरखाव राम भरोसे छोड़ देने से बेसमेंट में पानी भरने जैसी समस्याएं खड़ी होती हैं। जहां कहीं अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन अस्तित्व में हैं वहां भी हाल ऐसा ही रहता है। परंतु हर समस्या का ठीकरा प्राधिकरण के सिर फोड़ने का रिवाज है
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