राजेश बैरागी।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सड़कों पर अब कुत्ते आवारगी नहीं कर सकेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय में सरकार को दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को संरक्षण गृह में रखने का आदेश दिया है।आज ही राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में कुत्तों समेत सभी आवारा पशुओं को विशेष अभियान चलाकर सड़क से हटाने का आदेश दिया है। दिलचस्प बात यह है कि आवारा कुत्तों और पशुओं से हमदर्दी रखने वाले तथाकथित पशु प्रेमी और संगठन अदालतों के समक्ष आवारा कुत्तों और पशुओं के अधिकारों की वकालत तो करते रहे परंतु उनके कल्याण और सुरक्षित निवास के लिए उन्होंने कोई योजना पेश नहीं की।
देश भर में आवारा कुत्तों और पशुओं के कारण प्रतिवर्ष होने वाले हादसों की संख्या लाखों में होती है। आवारा कुत्तों और गोवंश के हमलों से भी बच्चे और बड़े आतंकित रहते हैं। स्थानीय निकाय इनसे बचाव के लिए जो भी कदम उठाते हैं,वो व्यवहारिक कम और औपचारिक ज्यादा होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गत 28 जुलाई को यह मुकदमा शुरू किया था और आज एक पखवाड़े की सुनवाई के बाद निर्णय भी सुना दिया। न्यायालय का यह निर्णय इस मायने में अभूतपूर्व है कि इस बार पशु प्रेमियों और स्वयंसेवी संगठनों की अजीबोगरीब दलीलों के लिए उन्हें जमकर लताड़ लगाई गई। न्यायमूर्तियों जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने उन्हें आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर संरक्षण गृह में डालने के कार्य में बाधा डालने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
न्यायालय के आदेशानुसार आगामी आठ सप्ताह में दिल्ली में सड़कों पर पलने वाले सभी कुत्तों को सरकार संरक्षण गृहों में बंद करेगी। इस कार्रवाई का विरोध करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।इसी प्रकार राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी आज ही जयपुर,जोधपुर और उदयपुर में सड़कों से आवारा कुत्तों व पशुओं को विशेष अभियान चलाकर हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया। निश्चित ही इन आदेशों का स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि कुत्तों और आवारा पशुओं के जीवन के अधिकार को संरक्षण गृहों की बंदइंतजामी की भेंट चढ़ने से रोकने पर भी निगरानी रखी जानी चाहिए।(
कुत्तों की आवारगी पर सुप्रीम आदेश

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