उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में 

बिजली अचानक चली जाती है, रोगियों की जान ले जाती है 

राजेश बैरागी।कल मैं ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान जिम्स में था। अचानक बिजली गुल हो गई।आज के समाचार पत्रों में पढ़ने को मिला कि बिजनौर के मेडिकल अस्पताल में भी कल बिजली चली गई थी और डायलिसिस करा रहे एक युवक सरफराज की इसलिए जान चली गई क्योंकि जेनरेटर में एक बूंद भी तेल नहीं था। सरफराज को बिजली और जेनरेटर के अभाव में दम तोड़ते हुए स्वयं बिजनौर के मुख्य विकास अधिकारी ने देखा।वे वहां अस्पताल की बदतर व्यवस्था की जांच करने गए थे।उस समय वहां छः लोगों को डायलिसिस चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई और जेनरेटर में तेल नहीं था। इस स्थिति से विचलित हुए सीडीओ ने चिल्लाकर कहा,-एक तो मर गया, पांच की जान तो बचा लो।’ क्या यह केंद्र सरकार के 11 साल बेमिसाल की एक बानगी है या हर जनपद में मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही योगी सरकार के अस्पतालों की वास्तविकता है? अस्पतालों को निर्बाध बिजली आपूर्ति सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसा संभव न हो पाने की स्थिति में अलर्ट मोड पर जेनरेटर होना चाहिए। क्या यह भी संभव नहीं है? मैं कल जिम्स के बिलिंग सेक्सन में था। वहां भी अचानक बिजली चली गई थी।पूरे बिलिंग सेक्सन में सुबह 11बजे ही अंधेरा छा गया। कोई पावर बैकअप नहीं। बिलिंग के लिए लगाए गए कंप्यूटर बंद हो गये। हालांकि दो मिनट बाद ही बिजली आ गई परंतु कंप्यूटरों को होश में आने में पांच से पंद्रह मिनट का समय लगा।(नेक दृष्टि)(ऐसे ही अन्य समाचारों/आलेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट www.nekdristi.com

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